उसकी आँखें / Uski Aankhein!

उसकी आँखें

उसकी आँखें कुछ ख़ामोश 

कुछ नम

उसके अपनों ने ही शायद

ढाया सितम 

जाने अनजाने में ही सही,

उसने ओढ़ ईश्वरीय चोला

इच्छा पूर्ति की परिवार जनों की 

अपनी तमन्नाओं को रख ताला बन्द 

वह पाँच लाख वाला महँगा लहंगा 

बिटिया को दिलाना 

जिसके बोझ तले निकला सा

जाए है दम

वह बहुरानी को नया नेकलेस 

सेट दिलवाना 

जिसके हीरों की दमक से आती 

वाह की चमक 

वह बेटे की नई कार की फ़रमाइश 

माडल नया ख़रीद 

उसके अलग घर का सपना पूरा कर

घिस गई गर्दन 

दामाद को भी चाहिए महँगी वाली घड़ी

कैसे न देगा? 

बेटी की कर के विदाई सोचा,अब खर्चा 

कुछ तो होगा कम

पोती भी बाँहों में झूल माँगती तोहफ़ा 

दिखा कर अल्हड़ पन

दादा तो न नहीं करेंगे, चाहे जेब में

हो या न हो दम

पोता भी कालेज की फ़ीस की देता दुहाई 

दादा पे रख उम्मीद 

बाइक का लेटेस्ट माडल है माँगता 

बन गई एक और रसीद

जब फादर्स डे आता , रेस्टोरेन्ट में जागर 

मनाया जाता 

मगर उस पिता की खुद की इच्छाओं पर

किसी का ध्यान न जाता

पोती पास आ खेलने से कतराती 

समय न होने का बहाना बनाती

पोता बूढ़े हो रहे दादा से दूर जा

टेनिस व फुटबॉल का मैच देखता

उसे भी अच्छा लगता, यदि उसके संग

बैठ मैच वो देखता

पोती से नई फ़िल्म की कहानी सुनकर

शायद मन बहल जाता

बेटी, बेटे व बहू से तो आशा रखी ही

न जाती

अकेले बैठ तन्हाई में पत्नी की याद

उसे बहुत सताती

उसकी ऑंखें कुछ ख़ामोश 

कुछ नम

जीवन में हैं देख लिए हर पल

बदलते लोगों के ढंग

पिताजी सुन के, पापा या डैडी सुन के

हर पल निभाई एक ज़िम्मेदारी 

उसके अपनों की परवरिश व सफलता 

बन गई उसकी बड़ी कमाई 

फिर भी कभी एक टीस सी निकलती

दिल के किसी हिस्से में हुआ होगा ज़ख़्म 

काश मॉं पास आ कर देती कोई दिलासा

उसके दुखी मन पे रखती दुलार का मरहम 

वह याद करता अपने पिता को, 

जाने कैसे करते हर कर्तव्य पालन

जवानी में क्यों वह समझ नहीं पाया 

बाप बन जाना करता है दिल को नरम

रोक लेता उन बहते आँसुओं को

क्योंकि वह तो पिता है, बच्चों का हीरो

कैसे दिखाएगा अपनी कमजोरी 

मगर उसकी ऑंखें कर गईं जज़्बातों की चोरी 

सिकीलधी 

6 thoughts on “उसकी आँखें / Uski Aankhein!

    1. शुक्रिया! आपने हमारे काम को हमेशा सराहा है और इस से हम को प्रेरणा मिलती है ।

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