गुरुदेव तुम्हारे चरणों में

गुरुदेव  गुरुदेव तुम्हारे चरणों में  हम मस्तक अपना निवाते हैं  शताब्दी मनाई कुछ वर्ष पहले  अब १०८वीं वर्षगाँठ मनाते हैं  १०८ का बना कर उच्च बहाना हम प्रेम व भक्ति की मशाल जलाते हैं  सामूहिक हनुमान चालीसा व वन भ्रमण द्वारा  हम एकत्व हो चिन्मय संगत कहलाते हैं  राह पाई जब तुम्हारे ज्ञान अर्चन से तब चिन्मय भक्त कहलाते हैं  नाम तुम्हारा जोड़ अपनी पहचान से  सत्य, धर्म, मानवता की मंज़िल पाते हैं  गीताथान करके, वाकथॉन करके  तुम्हारे कामिल आनंद रस लेते हैं  तुम्हारी ज्ञानवर्धक कोंमेंट्रियॉं पढ़ कर हम  तुम्हारे व्याख्यानों से अचंभित हुए जाते हैं  गुणगान तुम्हारे क्या और कैसे कह सकते  कहने को शब्द ही कम पड़ जाते हैं  दृढ़ रूप तुम्हारा , है निर्भय स्वरूप  तुम्हारे वचनों से हम प्रेरणा पाते हैं  सोचा था कभी जिसको असम्भव  वही स्वयं समर्पण आज सरलता से कर पाते हैं  गुरुदेव तुम्हारे सैनिक बन कर हम धर्म की विशाल ध्वजा फहराते हैं  पथ उजागर जब तुम्हारी सिखलाई से  हम जीवन मोड़ समझ बूझ पाते हैं  गुरुदेव तुम्हारे चरण पादुका समक्ष हम आज बैठ फिर वंदन करते हैं  जाग्रत कर जन्मोत्सव ज्वाला हम उत्सव आपका मनाते हैं  सिकीलधी के चन्द शब्द हो गए पावन जब गुरुदेव तुम्हारी शरण भेंट चढ़ पाते हैं  सिकीलधी

तराज़ू के पलड़े

तुम कहतीं थी न मेरे होने से तुम्हें अच्छा लगता है  फिर अब! अब क्या हुआ जो वहीं संग बोझ लगता है  तुम नन्ही सी थी तो कभी तुम्हारा हाथ पकड़  और कभी तुम्हें गोद में उठा मैं चलती थी ऐसा न था कि तुम बिल्कुल हल्की सी थी तुम्हें उठा मैं बहुत थकती थी  … Continue reading तराज़ू के पलड़े

विश्व कविता दिवस २०२५

महिला काव्य मंच के zoom platform पर केन्या इकाई पर प्रस्तुत की मेरी यह कविता बेहद सराही गई । आप सब से साझा कर रही हूँ । आशा करती हूँ आप सब को भी पसंद आएगी । महिला काव्य मंच केन्या की काव्य गोष्ठी कविता क्या है ? कविता एक एहसास है  जो शब्दों से बुझती … Continue reading विश्व कविता दिवस २०२५