Chapters : Being Born

They couldn't afford a cradle and a cot.... But you had to be kept in comfort by your lot.... They borrowed, they waited for gifts to come.... And sure enough, in gifts abundance came..... Grandparents arrived by the airplane..... With loads of goodies, gifts, toys and clothes.....

उसकी आँखें / Uski Aankhein!

https://anchor.fm/sikiladim/episodes/Uski-Aankhein-e1jg95q उसकी आँखें उसकी आँखें कुछ ख़ामोश  कुछ नम उसके अपनों ने ही शायद ढाया सितम  जाने अनजाने में ही सही, उसने ओढ़ ईश्वरीय चोला इच्छा पूर्ति की परिवार जनों की  अपनी तमन्नाओं को रख ताला बन्द  वह पाँच लाख वाला महँगा लहंगा  बिटिया को दिलाना  जिसके बोझ तले निकला सा जाए है दम वह बहुरानी को नया नेकलेस  सेट दिलवाना  जिसके हीरों की दमक से आती  वाह की चमक  वह बेटे की नई कार की फ़रमाइश  माडल नया ख़रीद  उसके अलग घर का सपना पूरा कर घिस गई गर्दन  दामाद को भी चाहिए महँगी वाली घड़ी कैसे न देगा?  बेटी की कर के विदाई सोचा,अब खर्चा  कुछ तो होगा कम पोती भी बाँहों में झूल माँगती तोहफ़ा  दिखा कर अल्हड़ पन दादा तो न नहीं करेंगे, चाहे जेब में हो या न हो दम पोता भी कालेज की फ़ीस की देता दुहाई  दादा पे रख उम्मीद  बाइक का लेटेस्ट माडल है माँगता  बन गई एक और रसीद जब फादर्स डे आता , रेस्टोरेन्ट में जागर  मनाया जाता  मगर उस पिता की खुद की इच्छाओं पर किसी का ध्यान न जाता पोती पास आ खेलने से कतराती  समय न होने का बहाना बनाती पोता बूढ़े हो रहे दादा से दूर जा टेनिस व फुटबॉल का मैच देखता उसे भी अच्छा लगता, यदि उसके संग बैठ मैच वो देखता पोती से नई फ़िल्म की कहानी सुनकर शायद मन बहल जाता बेटी, बेटे व बहू से तो आशा रखी ही न जाती अकेले बैठ तन्हाई में पत्नी की याद उसे बहुत सताती उसकी ऑंखें कुछ ख़ामोश  कुछ नम जीवन में हैं देख लिए हर पल बदलते लोगों के ढंग पिताजी सुन के, पापा या डैडी सुन के … Continue reading उसकी आँखें / Uski Aankhein!