शायद वह नब्ज़ दर्द देने वाली किसी ग़ैर की पकड़ में आ गई होगी ज़िक्र छेड़कर मेरे इतिहास के पन्नों का उसे कुछ मज़ा शायद आया होगा
आवारा पन्ने

शायद वह नब्ज़ दर्द देने वाली किसी ग़ैर की पकड़ में आ गई होगी ज़िक्र छेड़कर मेरे इतिहास के पन्नों का उसे कुछ मज़ा शायद आया होगा
सदियों से सताया तुमने किसने दिया है यह हक़
अच्छा किया जो तुम ने औक़ात याद दिला दी मुझ को जानती थी जिस घर को अपना उसी की बन्दी बन कर रह गई
साड़ीयॉं हर औरत की शान जो देती अलग पहचान
चलो आज समोसे का मज़ा लेते हैं
बदलते दशक के संग बदले कई हालात। आओ पढ़ कर देखो कैसे बदले हैं हाल।
From ushering the new year to ushering yourself with newness and fresh attitudes to life let's begin the journey with some simple resolutions.
A decade comes with fresh new expectations and memories of a decade gone by.