झांकती ज़िन्दगी

बंद दरीचों से झॉंकती ज़िन्दगी

लेकर पैग़ाम उम्मीदों भरे

छन कर ज़रा सी धूप बिखरती

ओलिएन्डर की शाख़ों तले

दिल की धड़कन तेज़ हो चली

आशाओं के दीप हुए उज्ज्वल

अब तो आजा, दिन भी है निखरा

हम राह तकते ज़ुल्फ़ें बिखरा

इन्तज़ार की हुई इन्तेहा

सफ़र ए सिकीलधी बेहद तन्हा

सिकीलधी

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