जुड़े जो रहे अपनी जड़ों से , सम्भल ही जाते उड़ते परों से A deep rooted reflection of life Nature Photography 18/09/25 London Roadside
हिन्दी कविता
कृष्ण जन्म!
अंतिम संस्कार!
https://youtu.be/Jjgzi72uDqU?si=Ta_8d_0wKCz3RJRq केन्या के नैरोबी शहर में हिंदू परिषद द्वारा एक सांस्कृतिक सम्मेलन मनाया गया जिसके तहत एक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ । कवि सम्मेलन का शीर्षक था “नवरस के रंग, कवियों के संग “ जिसमें करुण रस दर्शाती यह कविता “अंतिम संस्कार “ सुनाई गई । सिकीलधी
दिन ढलने लगा!
सर्द मौसम
सर्द मौसम! मौसम का है तक़ाज़ाया मेरी रूह का जनाज़ाआहें हुई सर्द, दिल में दर्दछुपाऊँ कैसे? छुपाऊँ किस से? सिकीलधी
तराज़ू के पलड़े
तुम कहतीं थी न मेरे होने से तुम्हें अच्छा लगता है फिर अब! अब क्या हुआ जो वहीं संग बोझ लगता है तुम नन्ही सी थी तो कभी तुम्हारा हाथ पकड़ और कभी तुम्हें गोद में उठा मैं चलती थी ऐसा न था कि तुम बिल्कुल हल्की सी थी तुम्हें उठा मैं बहुत थकती थी … Continue reading तराज़ू के पलड़े
विश्व कविता दिवस २०२५
महिला काव्य मंच के zoom platform पर केन्या इकाई पर प्रस्तुत की मेरी यह कविता बेहद सराही गई । आप सब से साझा कर रही हूँ । आशा करती हूँ आप सब को भी पसंद आएगी । महिला काव्य मंच केन्या की काव्य गोष्ठी कविता क्या है ? कविता एक एहसास है जो शब्दों से बुझती … Continue reading विश्व कविता दिवस २०२५