क्या लिए चलती हो ...... इस भारी सी संदूक में ? जिसके बोझ तले झुकती हो...... तुम बहुत थकी लगती हो!
बचपन
तराज़ू के पलड़े
तुम कहतीं थी न मेरे होने से तुम्हें अच्छा लगता है फिर अब! अब क्या हुआ जो वहीं संग बोझ लगता है तुम नन्ही सी थी तो कभी तुम्हारा हाथ पकड़ और कभी तुम्हें गोद में उठा मैं चलती थी ऐसा न था कि तुम बिल्कुल हल्की सी थी तुम्हें उठा मैं बहुत थकती थी … Continue reading तराज़ू के पलड़े
वो यादें!
वो यादें जो सिमट तसवीरों में, मुझसे बातें करतीं हैं ...... कुछ दर्द का एहसास देतीं हैं , कुछ लबों पे मुस्कान बनती हैं........
वर्ल्ड पेरेन्ट्स डे
वो मना रहे वर्ल्ड पेरन्ट्स डे कहते करो आदर मॉं पिता का नहीं जानते दुनिया के कुछ लोग अपनी सभ्यता रख कर कायम प्रतिदिन देते आदर माता पिता को उनके कर चरण स्पर्श करते दिन का आरम्भ रखते उनको स्वयं संग सदा कर सकते अपने बचपन की भरपाई न मगर करते परवरिश उनकी जी जान … Continue reading वर्ल्ड पेरेन्ट्स डे
बाबा हरदेव वाली राह! Baba Hardev wali raah!
“धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं “ बाबा हरदेव सिंह “Let blood flow in the veins, not in the drains” Baba Hardev Singh Ji.
यादों की चादर
ओड़ ली मॉं आज फिर तेरी यादों की चादर तुझे याद करआज दिल हुआ जाए बेकल तुम थी तो दुनिया का अंदाज़ अलग था तुम्हारे जाने से, रिश्तों का फीका सा रंग था याद आती हैं बातें वह बचपन वाली सुहानी कितनी ही रातों में सुनी हमने तुमसे कहानी ख़ुद पढ़ी लिखी न हो कर भी, हम … Continue reading यादों की चादर
मॉं से मायका (Maternal Home)
मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वह प्यार दुलार व दुआ की बहार वो घर बुलाने के बहाने हज़ार वो हर फ़रमाइश का पूरा करना वो घंटों बैठ कर बातें करना मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वो मायके जाकर सब … Continue reading मॉं से मायका (Maternal Home)
रक्षा बन्धन
याद है बचपन की अठखेली वो पूछना एक दूजे से पहेली खेल खिलौने अद्भुत न्यारे गेंद व गुड़ीयॉं प्यारे प्यारे वो रंग भरी लम्बी पिचकारी ग़ुबारों में जल भर होली की तैयारी वो छत पर खेलना छुपन छुपाई बात बात पर करना लड़ाई याद आते हैं मेरे भैया प्यारे, वो दिल्ली के साँझ सखारे वो … Continue reading रक्षा बन्धन