सरमाया

उजाला करने वाले को देकर अपनी छाया वह नादान समझ बैठा ख़ुद को सरमाया बना कर बुत भगवान का मन्दिर के लिए वह अन्जान ख़ुद को समझ बैठा विधाता सिकीलधी