सरमाया

उजाला करने वाले को देकर अपनी छाया

वह नादान समझ बैठा ख़ुद को सरमाया

बना कर बुत भगवान का मन्दिर के लिए

वह अन्जान ख़ुद को समझ बैठा विधाता

सिकीलधी

2 thoughts on “सरमाया

  1. क्या बात।

    इतना घमंड मत कर,अभी तो ठीक से खड़ा भी नही,
    अरे चंद हुनर पाकर इतराने वाले,
    विधाता को समझ लो ये आसान कहाँ,
    तुम इतना बड़ा भी नही।

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