जिंदगी कितनी रफ्तार से बढ़ रही है
और पीछे छूटते जा रहे
वो गलियाँ,
वे दोस्त,
सपने
और प्यार।
कल डाँट में भी प्यार था,
अब प्रेम भी बनावटी दिखता है,
शायद असली जीवन पीछे छूट गया,
खुशबू आज भी मगर फूल डाली से टूट गया,
अब खुद को सिर्फ बहलाते हैं,
अपने याद बहुत आते हैं।
बहुत ही सुंदर और एक दम सही🌸😊
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Shukriya ji
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Very good
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Thanks
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दिल को छूती बेहतरीन पंक्तियाँ।
जिंदगी कितनी रफ्तार से बढ़ रही है
और पीछे छूटते जा रहे
वो गलियाँ,
वे दोस्त,
सपने
और प्यार।
कल डाँट में भी प्यार था,
अब प्रेम भी बनावटी दिखता है,
शायद असली जीवन पीछे छूट गया,
खुशबू आज भी मगर फूल डाली से टूट गया,
अब खुद को सिर्फ बहलाते हैं,
अपने याद बहुत आते हैं।
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Dhanyavaad Ji. Apki panktiyaan vishesh hain.
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