दादी नानी की यह कहानी
आँगन में जब बरसा पानी
समेटा जा जल्दी से बिस्तर को
खटिया तो थी भीग ही जानी
रस्सी उसकी बदलनी ही थी
हो चली थी बहुत ही पुरानी
यादें समाई थी उस रस्सी पर
नन्द भाभी की सुनी हर कहानी
बोझ तले उन सब क़िस्सों के
रस्सी ने सुनी हर एक रुसवाई
दादा दादी नाना नानी की ज़बानी
एक खटिया से आपने बहुत कुछ याद दिला दिया।उम्दा लेखन।👌👌
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Dhanyavaad Madhusudan Ji.
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