तेरी याद

लो फिर से चली आई

धुंधली सी तेरी याद

दिल करने लगा फ़रियाद

पैरहन पे गिरे यूँ आॉंख से क़तरे

ज्यूँ ऑंचल में आ गई बरसात

तेरी याद दम लेने ना देती

घायल रहता है दिल का हाल

मेरी यह तड़प, ये बेचैनी

देती रुसवाई, करती बदनाम

लो फिर से चली आई

धुंधली सी तेरी याद

नींद ने भी मेरा दामन त्यागा

ऑंख ने आस का बॉंधा धागा            image

रात में दिन, दिन में रात लगती

हरदम रहती ऑंखें टपकती

एक जुदाई बिरहा वाली

दे गई मन को दुख की गहराई

सिकीलधी

5 thoughts on “तेरी याद

  1. Beautiful words पैरहन, बिरहा…
    अजीब हैं यादें,
    धुंधली हो जाती हैं,पर जाती नहीं हैं।
    याद न भी करों ,पर याद जाती नहीं है।

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