सीखी न वह/ Seekhi na woh!

आज के #EmbraceEquity वाले समय भी कुछ ग्रहणियाँ ह्रदय में अश्रु छिपा बाहरी तौर से मुस्कुराती दिखती है । यह कविता उन स्त्रियों को समर्पित है जिन्होंने खुद को कहीं खो दिया है । क्या आप को यह कविता दिल से लगेगी? क्या यह कहानी आपकी है? क्या यह आपकी किसी अपनी की याद दिलाती हैं? क्या आप की मॉं अथवा दादी/नानी भी इस पीड़ा से गुज़र चुकीं हैं? अपनी टिप्पणी अवश्य साझा कीजिएगा ।

मॉं का मायका 

https://anchor.fm/sikiladim/episodes/ep-e1hatocमॉं का मायका मॉं जब भी मायके जातीख़ुशी की लहर है छा तीउसके प्यार व दुलार भरी बातेंपूरे परिवार को सुखद अहसास दिलातीं मॉं जब जब मायके जातीछोटे भाई बहनों पर बलिहारी जातीघुल मिलते सब उसके इर्द-गिर्दएकता का नया संदेशा याद दिलाती मॉं जब भी मायके जातीछोटे भाई भतीजों में पिता को खोजतीभाभियों पर ममता … Continue reading मॉं का मायका 

मॉं से मायका (Maternal Home)

मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वह प्यार दुलार व दुआ की बहार वो घर बुलाने के बहाने हज़ार वो हर फ़रमाइश का पूरा करना वो घंटों बैठ कर बातें करना मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वो मायके जाकर सब … Continue reading मॉं से मायका (Maternal Home)