कितना शांत, कितना ठहरा, लगता था उनका चेहरा, बाबा ने हम सब से दूर हो, जब पहना था मौत का सेहरा.......
मसरूफ़
औकात याद दिला दी
अच्छा किया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मुझ को
जानती थी जिस घर को अपना
उसी की बन्दी बन कर रह गई
कितना शांत, कितना ठहरा, लगता था उनका चेहरा, बाबा ने हम सब से दूर हो, जब पहना था मौत का सेहरा.......
अच्छा किया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मुझ को
जानती थी जिस घर को अपना
उसी की बन्दी बन कर रह गई