Zindagi ka hoga jab khatm afsana Tum se mein bhi milne aoongi wahaan
Nalina
Zindagi ka hoga jab khatm afsana Tum se mein bhi milne aoongi wahaan
एैसी एक वसीयत तुम कर जातीं नाम मेरे तुम्हारे गुन कर जातीं जिन से थी तुम्हारी पहचान एै मॉं मैं बस तेरे आँगन की एक हूँ क्यारी याद हैं आतीं बहुत ही मुझको बातें तुम्हारी वह प्यारी प्यारी जो थीं कभी सिखलाई तुमने उन बातों पर दिल जाता बलिहारी सिकीलधी