View from the balcony: 07/11/23, Nairobi Sunrise this morning Brought in new hope. As I was awakened to a beautiful day The rains along with freshness had brought in gloom Hence the Sun appeared as a blessing.
धूप
यह इमारतों की है बस्ती!
यह इमारतों की है बस्ती , दूर तलक ईंट पत्थर की हस्ती ! आकाश को ज्यूँ चूमने लगतीं , लम्बी इमारतों की आवारागर्दी! चाहे दिन हो गर्म या हो मौसम में सर्दी , इन लम्बी रहगुज़र में आबादी पलती! ढलती धूप को शांत सा साया, जाने कितनों के मन को भाया ! आँच दिखाकर हल्की व ठंडी, धूमिल किरनों की सरपरस्ती ! चमक बिखेर मकानों के गिर्द , जैसे स्वयं को उन पर ओढ़ती! इस बस्ती की बात ही निराली , ज्यूँ जादूगर की माया नगरी ! कारों बसों के कोलाहल संग, एक अजब सी ऊर्जा उपजी! हैडलाइटों की सारी झिलमिलाहट , बिल्डिंगों की खिड़कियों पर बरसती !
झांकती ज़िन्दगी
बंद दरीचों से झॉंकती ज़िन्दगी लेकर पैग़ाम उम्मीदों भरे छन कर ज़रा सी धूप बिखरती ओलिएन्डर की शाख़ों तले दिल की धड़कन तेज़ हो चली आशाओं के दीप हुए उज्ज्वल अब तो आजा, दिन भी है निखरा हम राह तकते ज़ुल्फ़ें बिखरा इन्तज़ार की हुई इन्तेहा सफ़र ए सिकीलधी बेहद तन्हा सिकीलधी