ये शरीर भी क्या शरीर ये शरीर भी कैसा शरीर कभी बना दर्द की दुकान कभी बनता दवा की दुकान इस के क्या गुण, क्या अवगुण कभी बनता सम्मान का मकान भुलेखे में डाल ह्रदय को ये बन जाता अहंकार का सामान छिड़ जाता सह मान अपमान इसको भाता खुद अपना गुणगान ये शरीर भी क्या शरीर ये शरीर भी कैसा शरीर सिकीलधी
दवा
दूरी – 1
*कै से हो आ प स ब**स ब ठी क है ना**अ ब तो अ क्ष र भी**पा स पा स लि ख ने**में ड र ल ग ने ल गा है ।**S O C I A L* *D I S T A N C I N G*😃 😉 😛 🤣 😇 😂t* ये कै … Continue reading दूरी – 1