बेटी मेरी अपनी हो या फिर किसी और की- बेटी ही होती है । यह कविता मेरी सखी अरूना की ओर से उसकी बेटी खुशाली के लिए एक प्यारी सी भेंट । जन्मदिन मुबारक हो खुशाली ।
जन्मदिन
पतंग सी!
तुम्हारा जन्मदिन
तेरी याद जो आई मेरी ऑंखें ढबढबाईं कुछ ख़ास है आज का दिन आज के दिन मनाते तुम्हारा जन्मदिन मगर अब वही दिन बन कर रह गया याद का दिन तुम जो रूठ चलीं जहाँ से ढूँढती हूँ तुम्हारे निशाँ से वो छोटी छोटी बातें, यादें बन समेट लेती हैं एक आलिंगन बन हर क्षण … Continue reading तुम्हारा जन्मदिन
ऐ मॉं
मॉं की याद जब भी है आई,
दर्द हुआ इतना की बेटी बिलबिलाइ।
पापा का जन्मदिन
जन्मदिन मनाना, झूमना गाना और अपनों संग मिल हाहाकार मचाना।
जन्मदिन
जन्मदिन की ख़ुशी तो होती है मगर क्या जीवन सत्य को समझ सके हम !