A Balloon Vendor in the late evening hours in Jaipur वह बेच रहा था गुब्बारे! कई तरह के रंग वाले, कुछ गहरे लाल, कुछ नीले! कुछ सादा, कुछ दिखते चमकीले ! कितने नन्हे दिलों को बहलाता, वह बेचारा ग़ुब्बारे वाला| दिन ढलते सॉंझ की छॉंव तले, अपने दुख दर्द को छोड़ परे, वह ख़ुशियों की … Continue reading ग़ुब्बारे वाला
घर
मौत का सेहरा
कितना शांत, कितना ठहरा, लगता था उनका चेहरा, बाबा ने हम सब से दूर हो, जब पहना था मौत का सेहरा.......
औकात याद दिला दी
अच्छा किया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मुझ को
जानती थी जिस घर को अपना
उसी की बन्दी बन कर रह गई
मॉं से मायका (Maternal Home)
मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वह प्यार दुलार व दुआ की बहार वो घर बुलाने के बहाने हज़ार वो हर फ़रमाइश का पूरा करना वो घंटों बैठ कर बातें करना मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वो मायके जाकर सब … Continue reading मॉं से मायका (Maternal Home)