Day of Love By Sikiladi Bouquets of flowers red in sight Roses gather each stall upright The day to mark love is here Lovers excited in festive gear Exchanging gifts is the trend Dinners and dates with a blend Parties to occasion the love day Partners in love in a joyous sway Building up festivity … Continue reading Day of Love!
Month: February 2024
Sindhi Onion Pickle!
The article, featured in The Hindu Deep Annual 2023, reflects on the author's Sindhi heritage and the tradition of pickle-making. The author's grandmother, affectionately referred to as Amma, was renowned for her skill in creating diverse pickles stored in porcelain jars. The author shares a cherished pickle recipe from Amma, acknowledging that while their own attempts may not match her expertise, the tradition lives on. Monica Gokaldas' heartfelt narrative celebrates the cultural significance of pickle-making within the Sindhi community and the enduring impact of family traditions.
कब! जाने कब!
बेटियाँ कब! जाने कब वह बड़ी हो जाती हैं कल की फुदकती बच्चियाँ सयानी हो जाती हैं नन्हे पैरों की छन छन पायल आँगन में राग सुनाती है छोटे छोटे हाथों से हम बड़ों को थामने लगतीं हैं कब! जाने कब वह बड़ी हो जाती हैं माँ की देखा देखी फ़ैशन थीं सीखतीं पर्दे पीछे … Continue reading कब! जाने कब!
जाड़ा आया!
जाड़ा जाड़ा आया, गरम कपड़ों कि दुकानें लायाsikiladi कई प्रकार के कम्बल, रज़ाई व रंगबिरंगी शाल लाया कुछ हल्की, कुछ पश्मीना या फिर शहतूश वाली शाल ऊन महीन हो, मध्यम हो या मोटे रेशे की लेतीं हर साल धूप सेकतीं, बैठ बतियातीं, और हाथों सिलाइयाँ चलातीं घंटों तक स्वेटर बुनतीं माँ, दादी व चाची मामी दिखतीं तिल लड्डू व रेवड़ी की मिठास वाला जाड़ा आया अग्नि देव की मर्यादा लिए लोहड़ी संग पोंगल लायाsikiladi माघ व मकर संक्रांति वाले गंगा स्नान वाली उमंग लाया सात धान की खिचड़ी, गज़क, गुड़ की मिठास ले आया पेंच लड़ाने वाला उत्सव, पतंगों का साया आकाश पे छाया बहु, ससुर, जीजा व साली सबने मिल आनंद उठाया तरह तरह के फ़ैशन वाला आज भी जब जाड़ा आया शीत ऋतु का नया स्टाइलिश सा संदेशा लाया कई प्रकार की टोपी, मोज़े, जर्सी व दस्ताने लायाsikiladi बुनाई वाली बैठकों संग कितने सुंदर पोंचो लाया दूर हुई गर्मी के पसीने की बू, धूप में अब आनंद आया साथ ही पुराने से नूतन वर्ष में सरकने का अवसर आया जाड़े संग ही आता पेट पूजा का अलग ही सरोकार सरसों के ताज़ा पते व मोती से चमकते मटर गोलाकारबाजरे, मक्के या गुड़ की हो रोटी मक्खन जताता प्यारकैसे कर सकता है कोई इस ऋतु के व्यंजन से इनकार वो बालू पर भुनी हुई मुलायम शकरकंदी का दीदारऔर छली लिए फेरी वाले की ज़ोरदार आमंत्रित पुकारsikiladi कड़कता जब जीवन का वृध्द जाड़ा आया हमारे चाहने न चाहने की परवाह किए बग़ैर निर्दयी हमारे जोड़ों के दर्द को संग ले लायाsikiladi संग ही लाया शीशी वाला गरम सरसों का तेल जिसका हर रात होता हमारे दुखते घुटनों से मेल कंपकंपाती सर्दी लगती, दांत किटकिटाते सिगड़ी लगा कमरों में बैठ हम हाथ पाँव सेकते सर्द सर्दी के स्वभाव भी अजब घर में होते दिखते रज़ाइयों में बैठे बुजुर्गों के पाँव छूने कठिन लगतेचूल्हे पर चाय के सिवाय काड़े के पतीले मिलतेप्रातःकाल बच्चे न नहाने के बहाने खोजते फिरते अपनी चहेती क़ुल्फ़ी से हम स्वत: ही मुँह मोड़ लेते पेप्सी,कोला छोड़ हम हल्दी वाला दूध पीने लगतेsikiladi श्री कृष्ण के उपदेश लिए जाड़ा आयाsikiladi श्रीमद् भागवत गीता जी की जयंती लाया संक्रांति और भीष्म पितामह की पुण्यतिथि संग ही तुलसी पूजन के उत्सव को भी यह मौसम ले आया गुरुओं की आशीश व नेमत लिए गुरू नानक देव व गुरू गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व संग लाया जाड़ा आया, हाँ भाई जब जाड़ा आयाsikiladi कुछ ठिठुरन, कुछ सिहरन वाली शीत लहर लाया मगर अब की बरस पारा उतारती शीत लहर संग हर भारतीय के मन में नव उत्साह व उमंग ले आया अयोध्या नगरी व देस विदेश के मंदिरों को जोड़ पाया २०२४ वाला जाड़ा हर्षोल्लास वाली रामलहर ले आया https://videopress.com/v/zyq26ppl?resizeToParent=true&cover=true&preloadContent=metadata&useAverageColor=true कवि सम्मेलन 04/02/24 @ हिन्दू परिषद, केन्या