अतीत की तस्वीरें


आज भाभी के हाथ लगी 

कुछ ऐसी तस्वीरें 

जिनका रंग कुछ उखड़ा सा

और किनारे फटे हुए से

कुछ दरारों से ढँकी हुईं 

कुछ के कोने कतरे हुए 

फिर भी न जाने कैसी कशिश हुई

उन तस्वीरों को देखकरsikiladi

उभर आए हमारे अतीत के रंग

और अतीत के भी अतीत वाली तस्वीरें 

शायद हम जन्मे भी न थे 

तब की हैं कुछ तस्वीरें 

कुछ चेहरे ऐसे भी दिखे 

जिन्हें कभी देखा ही न था

और ऐसे रिश्ते नातेदार 

जिनका केवल बस नाम सुना था 

आज अचानक मिलने है आए

अतीत का चिलमन खोलके

एक दूजे से पूछने लगे हम

Sikiladiयह कौन है ?

वह कौन है ? 

जाने अनजाने से दिखते लोग

अतीत का पर्दा पलट के आए 

मॉं ने सहज सम्भाले रखा था

यह तस्वीरों वाला अधभुत ख़ज़ाना 

घर के कई कोनों से निकला 

समेट कर दराज़ों बीच छुपा सा

अलमारियों में सालों से बंद 

धूल से परे था, फिर भी धूल की महक लिए

तहख़ानों से बाहर निकला था

मॉं बाबा का यह अनमोल ख़ज़ाना 

दादी तक तो हम समझे

मगर परदादी को सब ने न पहचाना

और फिर कई पुराने दूर दराज़ वाले रिश्तेदार

जिन्का शायद कभी एक ज़िक्र सुना होगा 

जब मॉं और दादी बैठ बतियातीं थीं 

न जाने कितने लोगों की बातें कर जाती थीं

आज वह सारे नाम पहचाने लगे

मॉं चल बसी तो उसके अपने भी

अब हमें हमारे अपने लगने लगे

बेशक़ीमती लगतीं है अब ये तस्वीरें 

जिनसे साक्षात्कार हुआ न था कभी

खुद अपने बचपन के चिन्ह ढूँढने लगे

अब हम अतीत के पन्नों मेंsikiladi

स्वयं को ही खोजने हैं लगे 

वे बचपन वाली स्टूडियो की कुर्सी पे

ब्लैक एंड व्हाइट पुरानी तस्वीरें 

जिन पर स्टूडियो का नाम चिन्ह था

और किनारे कटांऊं कारीगरी वाले

जिन्हें हम आज देख रहे व्हाट्सएैप के ज़रिए

जब भाभी एक एक कर,  हर तस्वीर साझा कर रही 

और एक दूजे से हम पूछ रहे 

यह कौन है? 

Sikiladi वह कौन था? 

यकीनन आज रात कई तकिये गीले होंगे 

अतीत की परछाई हमारे मन है छाई 

अखियों के झरोखों से

दिल के दरवाज़े पे दस्तक है आई

उस दूर दराज़ दस्तक से कई यादें लौट आईं 

हम जो आज है, अतीत बना हमारी परछाईं 

चले गए बहुत सारे लोग

ज़िन्दगी के सफ़र में कुछ साथ देकर

सौंप कर हमें हमारा आज

एक सुखद एहसास देकर 

मगर ये कम्बख़्त यादें हैं, जो झकझोरती हैं 

उम्र की दहलीज़ वाले, बीते लम्हों को पुकारतीं  हैं 

और फिर हम अतीत वाला झूला झूलने लगते हैं

अपने आज की नींव को, अतीत के पैरों पे टिका देखते हैं 

कुछ तस्वीरों से मिली ख़ुशी को समेटते हैं 

कुछ यादें ताज़ा कर, आँखों की नमी को पोंछते हैं 

अतीत के सुनहरे पन्नों को बिखरने से बचाने के प्रयास में 

भाई बहनों से जल्द ही मिलने का वादा कर जाते हैं 

दिल से देते हैं दुआ भाभी को

जिसने यादों का पिटारा खोल डाला 

धुंधला सा ही सही

अतीत की तस्वीरों वाला दर्पण दिखा डाला

हल्के से हमारे मस्तिष्क में खोली कई कहानियाँ

गुज़रे कल की ख़ुशियाँ, परेशानियाँ व बदगुमानियॉं

एक साथ यकायक अपने किवाड़ खोलती हुईं

हमारे अपनों की अपनी सी अनगिनत मेहरबानियाँ

सिकीलधी 

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