बादल की चादर

बादल की चादर

दूर तक फैली, बादल की चादर

धरती को ढकती, श्वेत यह चादर

विशाल ह्रदय सा आँचल ओढ़े

सुकून से धरती मॉं छाया समेटती

कपास के कपोलों सी मुलायम चादर

अनछुए आलिंगन में बाँधती यह चादर

कभी सरक कर धूप को राह दे देती

कभी शीत व रिमझिम वर्षा परोसती

नृत्यांगना बन कभी मुद्राएँ बदलती चादर

शिव बाबा का त्रिशूल बन चमकती चादर

तारें को लपेट अपनी बाँहों में दुलारती

बड़ी ही मनमोहक बादल की चादर

सिकीलधी

5 thoughts on “बादल की चादर

Leave a reply to Madhusudan Cancel reply