दशक बदल चला

दशक बदल गया

यूँ ही चलते चलते दशक बदल गया

इस एक बदलते दशक के संग

बहुत कुछ बदल चुका है

बालों की स्याह रंगत परिवर्तित हो चली

श्वेत चमकती चाँदी बालों से छनकने लगी

शरीर भी पहले सा सटक रहा

कुछ तन से तने कपड़े घुटन देने हैं लगे

माथे पर दिखते बल उम्र का तक़ाज़ा दर्शाने लगे

झुर्रीयॉ भी अंगों से ऑंख मिचौली करते दिखतीं

 

दशक बदल चला

यूँ ही चलते चलते दशक बदल गया

कभी थी जिन बातों की परवाह

वही आध्यात्मिक विचार अब जी को भाने हैं लगे

क्लब नाच गाना तो अब पहले से कुछ अधिक है

मगर यह कमबख़्त क़दम अब घर की ओर जाने लगे

अपनी पसन्द नापसन्द की रही अधिक चिंता

अब अपनों की पसंद का ख़याल हम रखने लगे

 

दशक बदल चला

यूँ ही चलते चलते दशक बदल चला

टीवी अब पहले सा छोटा और मोटा रहा

बच्चन जैसा लम्बा चौढ़ा, कटरीना जैसा पतला हो चला

कुर्सी पर बैठ मॉं बापू को टेलिफ़ोन करने का ज़माना गया

अब तो दादी नानी भी मोबाइल पकड़ कहीं भी, कभी भी बतियाने लगे

छूट रही गीता रामायण की पुस्तकें, यू ट्यूब पर कथा सुनने लगे

अब बेचारी वक़्त की सताती किसीको, हर उम्र में नेटफिल्क्स दिखने लगी

 

दशक बदल चला

यूँ ही चलते चलते दशक बदल चला

अब अपने बच्चे हों या फिर पोता पोती अथवा नाती

कहानी सुनने सुनाने का दौर जाता दिख रहा

लैपटॉप, ट्विटर,फ़ेसबुक सबको व्यस्त रखने हैं लगे

गिल्ली डन्डा, पकड़न पकड़ाई, अब भूतकाल के खेलों में गिने जाने लगे

बोर्ड गेम मे रही रुची बाक़ी, प्लेस्टेशन, निन्टेनेडो दिल बहलाने लगे

कैमरा भी अब कौन सम्भाले, ड्रोन से तस्वीरें मिलने लगें

 

दशक बदल चला

यूँ ही चलते चलते दशक बदल चला

इक्किसवीं सदी को लग चला तीसरा शतक अब

आधुनिक कुछ अधिक अब है पैरहन हो गया

लम्बे बाल रखो या रखो कोई सिर पे बाल

मगर हर स्त्री पुरुष की स्पष्ट दिखती वैक्सिंग वाली खाल

पतलून पैंट कुछ ऐसे पहनते, दिखना चाहिए चड्डी का हाल 

क्या खाया, क्या पीया, सफल तब है, जब हो फ़ेसबुक पर प्रचार

सेल्फ़ी लेता हर बच्चा बूढ़ा, चेहरे का बनाते बुरा सा हाल

सिकीलधी

2 thoughts on “दशक बदल चला

  1. कल हमें रोकते थे,अब हम रोकते हैं,
    कल हमें टोकते थे,अब हम टोकते हैं,
    ये जीवन की कलियाँ,कुसुम बन खिली कब,
    पता ना चला ये,हवा में उड़ी अब,
    उड़े बाल सारे,कभी केश काले,
    कभी टूटे सीसे में चेहरे चमकते,
    हँसी देख दर्पण पुराने भी हँसते,
    मगर आज कुछ ना नजर आ रहा है,
    नई आईना कुछ ना दिखला रहा है,
    नए आज सबकुछ,बने हम पुराने।
    ये धुंधली नजर नव डगर ढूंढते हैं,
    कल हमें रोकते थे,अब हम रोकते हैं,

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