सभ्यता

 

सभ्यता को देखा असभ्य होते
जब टिप टाप लोगों की देखी हरकतें

आए सिनेमाघर में फ़िल्म देखने
चाल ढाल को कुछ ऐसे बदले

पैर पसारे सामने वाली कुर्सी पर
शालीनता टाँग आए शायद घर पर

पापकार्न खाया कम, फैलाया अिधक
मगर बच्चों को सफ़ाई का पाठ पढ़ाया

कोक पी कर बोतल सरकाई नीचे
साथ ही अपनी तहज़ीब गिराई नीचे

उँगली घुमा नाक साफ़ जो किया
साथ वाली ख़ाली कुर्सी को गंदा किया

फ़िल्म हुई ख़त्म, उठ चले जनाब
ख़ुद हुए ख़ुश , सिनेमा हाल को रुलाया

बालों को ठीक करते चले कार की ओर
सभ्यता सारी भीतर ही भिखेर कर आए

सिकीलधी

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