सो गई इंसानियत, दिन में रात हो गई बेदर्दी की आज एक नई दास्तान हो गई खिन्न हुआ मन, हरकतों से बू आने लगी घिनौनी शरारत एक, किसी की जान ले गई जाग उठी हैवानियत, इब्तिदा अब हो गई क्रूरता इतनी की, जी मिचलाने की हालत हो गई दूजे को कहते हैं जानवर, पशुत्व प्रकीर्ति हो गई तुमसे भले तो पशु, दुख … Continue reading ईंसानियत