अब करे तो वह क्या करे..... अपने ही अकेलेपन में अपना सहारा बन, खुद को स्वयं ही समेटता..... अपने अतीत के बिखरे टुकड़े जोड़ता....
बर्दाश्त की हद!
अब करे तो वह क्या करे..... अपने ही अकेलेपन में अपना सहारा बन, खुद को स्वयं ही समेटता..... अपने अतीत के बिखरे टुकड़े जोड़ता....
मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वह प्यार दुलार व दुआ की बहार वो घर बुलाने के बहाने हज़ार वो हर फ़रमाइश का पूरा करना वो घंटों बैठ कर बातें करना मॉं है तो मायका भी है मॉं है तो मन महका भी है वो मायके जाकर सब … Continue reading मॉं से मायका (Maternal Home)