https://videopress.com/v/kSvbQjg9?resizeToParent=true&cover=true&preloadContent=metadata&useAverageColor=true Padma Harish Manghnani from Nashik speaks about respecting women.
देवी
सीखी न वह/ Seekhi na woh!
आज के #EmbraceEquity वाले समय भी कुछ ग्रहणियाँ ह्रदय में अश्रु छिपा बाहरी तौर से मुस्कुराती दिखती है । यह कविता उन स्त्रियों को समर्पित है जिन्होंने खुद को कहीं खो दिया है । क्या आप को यह कविता दिल से लगेगी? क्या यह कहानी आपकी है? क्या यह आपकी किसी अपनी की याद दिलाती हैं? क्या आप की मॉं अथवा दादी/नानी भी इस पीड़ा से गुज़र चुकीं हैं? अपनी टिप्पणी अवश्य साझा कीजिएगा ।
मॉं कब बूढ़ी हो गई ! Maa kab boodhi ho gayi!
एक ऐसी संतान जिसे यकायक मॉं के बुढ़ापे का अहसास हुआ।