अब करे तो वह क्या करे..... अपने ही अकेलेपन में अपना सहारा बन, खुद को स्वयं ही समेटता..... अपने अतीत के बिखरे टुकड़े जोड़ता....
बर्दाश्त की हद!
अब करे तो वह क्या करे..... अपने ही अकेलेपन में अपना सहारा बन, खुद को स्वयं ही समेटता..... अपने अतीत के बिखरे टुकड़े जोड़ता....