अमृत का संचार हो रहा गोपियों संग रास हो रहा चाँद जो चमका चॉंदी सा हर्षित हर एक मन हो रहा खीर बना कर भोग लगा है लक्ष्मी जी का अहसास हुआ है अक्षत रख प्रार्थना हम करते उत्साहित हर मन हुआ है सिकीलधी
अमृत
ब्रह्मकमल / Brahma Kamal
गर्भ धारण लिए तेरे पत्ते, आशा देते नए संसार की I कलियों के विकसित बोझ लिए , झूलतीं डालियों ने कई प्रण लिए........