विश्व कविता दिवस २०२५

महिला काव्य मंच के zoom platform पर केन्या इकाई पर प्रस्तुत की मेरी यह कविता बेहद सराही गई । आप सब से साझा कर रही हूँ । आशा करती हूँ आप सब को भी पसंद आएगी ।

महिला काव्य मंच केन्या की काव्य गोष्ठी

कविता क्या है ?

कविता एक एहसास है 

जो शब्दों से बुझती है

कविता वह प्यास है 

मस्तिष्क के कोरे काग़ज़ पर 

टेढ़े मेढ़े बिखरे अक्षरों को मिलन

विविध रसों का पृष्ठ पर हो संगम

तब  होता है एक कविता का जन्म 

पुष्पों की गंध सी शब्दों से महकी

छंद समागम की चिड़िया सी चहकी

कुछ छिपे कुछ प्रकट भावों की ले झलकी

किसी घुन में सजी ह्रदय में जा छलकी

देखो तो कैसे कैसे एक कविता जन्मती 

आँखों की भाषा अपने भीतर वह समाई

कभी शोकाकुल कभी विवाह गीत बन पाई 

भावों के जाल फैला उसने झंकार सुनाई 

सुख दुख की शब्दों भरी चादर फैलाई

तब जाकर एक कविता जन्म ले पाई

वार्तालाप हुआ त्योहार व त्रृतुओं का 

रसीला सा हो संचार नव संगीत का 

हो लबादा चापलूसी का या प्रशंसा गान

हो दबी असुरक्षा, हीन भाव या खानपान 

हर मौक़े पर यूँ ही बन जाती एक कविता 

शिशुओं की लेनी हो प्यारी बलिहारी 

सजनी साजन की दिल्लगी मनुहारी 

भाई बहन की नोक झोंक वाली लड़ाई 

या गली मोहल्ले वाली आंटी की हंसाई

चंचलता इन सबकी कविता में देती सुनाई 

माँ की मीठी याद व बिरह का पीड़ा 

जब ह्रदय तड़पता लिए यादों का हीरा 

शब्दकोश के पिटारे से बना नव जज़ीरा 

कविता की गोद में समाता वाक्य सजीला

कवि बुनते हैं अक्षर व मात्रा का सफीरा 

आज विश्व कविता दिवस के अवसर 

बैठे आप हम वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर

शब्दावली को यूँ होंठों पर सजाकर

काव्य पठन करते स्क्रीन पर मिलकर 

शब्द अलंकार सुनती आंख मूँदकर 

हम सखियाँ महिला काव्य मंच की शोभा बनकर 

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