ग़ुब्बारे वाला

A Balloon Vendor in the late evening hours in Jaipur

वह बेच रहा था गुब्बारे!

कई तरह के रंग वाले,

कुछ गहरे लाल, कुछ नीले!

कुछ सादा, कुछ दिखते चमकीले !

कितने नन्हे दिलों को बहलाता,

वह बेचारा ग़ुब्बारे वाला|

दिन ढलते सॉंझ की छॉंव तले,

अपने दुख दर्द को छोड़ परे,

वह ख़ुशियों की लाता शाम भरे!

मगर क्या उसके अपने घर में,

उसके नन्हे बालक ,

ग़ुब्बारे संग खेलते होंगे ?

या फिर उनको सहेजते होंगे?

वह गुब्बारे जो घर भर का पेट भरें,

उनकी बिक्री से उसके घर का चूल्हा जले!

ग़ुब्बारे वाला ही जाने उनकी कीमत,

जिनकी बदौलत परिवार का पेट पले|

सिकीलधी

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