वो गुज़र गया

कल शाम सोशल मीडिया पर देखा  एक चेहरा, जिसको देख अचानक  दिल का एक सोया हिस्सा धड़का  वह उस का चेहरा था… वर्षों बाद यकायक उस तस्वीर को देख एक चलचित्र की तरह बहुत कुछ…. जाने क्यों मस्तिष्क भीतर घूमने लगा शोक समाचार था…. वो गुज़र चला था, अलविदा कर गया था कई घिनौनी यादें फिर लौट आईं थीं  समझ ही न आया कैसा बर्ताव करूँ  राहत की साँस लूँ या शोक मनाऊँ  कहते हैं जाने वाले के बारे में अच्छा ही बोलो मगर, यह मन है कि बग़ावत सी करता है  वह मेरा अपना नहीं था, बिलकुल नहीं था मगर इतना ग़ैर भी तो नहीं था  आख़िर वही तो था…. जिसने मेरे कोमल जिस्म को कुरेदा था उसकी घिनौनी हरकतों कि जानिब  मेरा बचपन महफ़ूज़ ही न था उसका नाम सुनते ही बेस्वाद ख़्याल आते है  नफ़रत की है उससे बड़े जी जान से फिर उसके मौत की ख़बर जाने क्यों  उसकी आत्मा के सुखी होने की दुआ माँगती है  दिमाग़ की जद्दोजहद ने किया बेक़ाबू  एक बार फिर महसूस हुई … मुझे मेरे ही जिस्म से उसकी बदबू  क्या ये सोचना कोई पाप है  अच्छा हुआ कि वो गुज़र गया सिकीलधी