मॉं की सूरत

उसने कहा देख कर तुम्हें  याद आती है तुम्हारी माँ की और मैं फूली न समाई ह्रदय कुछ गद गद सा हुआ  मामीजी भी बोली मुझे देख तुम तो साक्षात अपनी मॉं दिखती हो मन ही मन प्रसन्नता जागी और मैं इतराई खुद पर आईना जो देखती हूँ जाकर झलक उसकी ही सामने आती है  वह मॉं जो छोड़ चली जहाँ को अपनी ही सूरत में ख़ूबसूरती बन पनपती है  उसकी सूरत बनी मेरा अभिमान व अनजाना अनकहा स्वाभिमान उसकी सूरत से ही मिलती मुझे पहचान वर्ना शायद मेरी हस्ती रह जाती बेनाम सिकीलधी 

मेरी सखी

  प्यारी बिन्दू कल रात तुम आई सपने में मेरेमेरे ह्रदय के थे खिल उठे कपोलेतुम्हारे बालों में कान के पीछे वह फूलजामुनी और नारंगी वह फूलकितनी सुन्दर दिख रही थी तुमहम दोनों ने बाँहों में बाँहें पकड़बहुत देर तक एक साथ डाँस कियाडेरों बातों का ख़ज़ाना था खोलाऔर सब से अच्छी बात यह थीकि … Continue reading मेरी सखी

मॉं तेरी याद

कुछ तुम्हारी शिकायत व डाँट सुन सकूँ , कुछ अपने गिले शिकवे कह सकूँ , साँझा कर लें फिर से वे ढेरों सित्तम, कुछ हंस कर, कुछ आँसू बहाकर तुम हम.........

तुम्हारा जन्मदिन

तेरी याद जो आई मेरी ऑंखें ढबढबाईं कुछ ख़ास है आज का दिन आज के दिन मनाते तुम्हारा जन्मदिन मगर अब वही दिन बन कर रह गया याद का दिन तुम जो रूठ चलीं जहाँ से ढूँढती हूँ तुम्हारे निशाँ से वो छोटी छोटी बातें, यादें बन समेट लेती हैं एक आलिंगन बन हर क्षण … Continue reading तुम्हारा जन्मदिन

यादों की चादर

ओड़ ली मॉं आज फिर तेरी यादों की चादर तुझे याद करआज दिल हुआ जाए बेकल तुम थी तो दुनिया का अंदाज़ अलग था तुम्हारे जाने से, रिश्तों का फीका सा रंग था याद आती हैं बातें वह बचपन वाली सुहानी कितनी ही रातों में सुनी हमने तुमसे कहानी ख़ुद पढ़ी लिखी न हो कर भी, हम … Continue reading यादों की चादर