मॉं की याद जब भी है आई, दर्द हुआ इतना की बेटी बिलबिलाइ।
ऐ मॉं

मॉं की याद जब भी है आई, दर्द हुआ इतना की बेटी बिलबिलाइ।
सतगुरू एक लेता नया आकार एवं बनता अनेक से एक। चोला बदल कर आया फिर से गुरू। निरंकारी समुदाय की सतगुरू माता सविंदर हरदेव के देहांत पश्चात उनकी सुपुत्री के सहयोग भरे कुछ शब्द पेश हैं
लोग चले जाते चुपचाप इस जहान से , यादों का कारवाँ पीछे छोड़ जाते हैं।