किताबों के ढेर, ढेर सारी किताबों के ढेर। कुछ ऐसा ही दिखता था जब विमल अपनी नन्ही सी आयु में अपने पिता का किताबें जमा करने का शौक़ देखती थी। वह ढेर जिसे वह ढेर कहती थी, बहुत ही सलीक़े से बैठक की बड़ी सी कॉंच की अलमारी में सहेज कर रखीं पुस्तकें थीं । … Continue reading पहचान
अलमारी
अतीत की तस्वीरें
https://spotifyanchor-web.app.link/e/neRCrixzivb आज भाभी के हाथ लगी कुछ ऐसी तस्वीरें जिनका रंग कुछ उखड़ा सा और किनारे फटे हुए से कुछ दरारों से ढँकी हुईं कुछ के कोने कतरे हुए फिर भी न जाने कैसी कशिश हुई उन तस्वीरों को देखकरsikiladi उभर आए हमारे अतीत के रंग और अतीत के भी अतीत वाली तस्वीरें शायद हम जन्मे भी न थे तब की हैं कुछ तस्वीरें कुछ चेहरे ऐसे भी दिखे जिन्हें कभी देखा ही न था और ऐसे रिश्ते नातेदार जिनका केवल बस नाम सुना था आज अचानक मिलने है आए अतीत का चिलमन खोलके एक दूजे से पूछने लगे हम Sikiladiयह कौन है ? वह कौन है ? जाने अनजाने से दिखते लोग अतीत का पर्दा पलट के आए मॉं ने सहज सम्भाले रखा था यह तस्वीरों वाला अधभुत ख़ज़ाना घर के कई कोनों से निकला समेट कर दराज़ों बीच छुपा सा अलमारियों में सालों से बंद धूल से परे था, फिर भी धूल की महक लिए तहख़ानों से बाहर निकला था मॉं बाबा का यह अनमोल ख़ज़ाना दादी तक तो हम समझे मगर परदादी को सब ने न पहचाना और फिर कई पुराने दूर दराज़ वाले रिश्तेदार जिन्का शायद कभी एक ज़िक्र सुना होगा जब मॉं और दादी बैठ बतियातीं थीं न जाने कितने लोगों की बातें कर जाती थीं आज वह सारे नाम पहचाने लगे मॉं चल बसी तो उसके अपने भी अब हमें हमारे अपने लगने लगे बेशक़ीमती लगतीं है अब ये तस्वीरें जिनसे साक्षात्कार हुआ न था कभी खुद अपने बचपन के चिन्ह ढूँढने लगे अब हम अतीत के पन्नों मेंsikiladi स्वयं को ही खोजने हैं लगे वे बचपन वाली स्टूडियो की कुर्सी पे ब्लैक एंड व्हाइट पुरानी तस्वीरें जिन पर स्टूडियो का नाम चिन्ह था और किनारे कटांऊं कारीगरी वाले जिन्हें हम आज देख रहे व्हाट्सएैप के ज़रिए जब भाभी एक एक कर, हर तस्वीर साझा कर रही … Continue reading अतीत की तस्वीरें