
स्वप्न जो देखा मैंने
सुबह के पहले प्रहर
या फिर शायद होगा रात्रि का अंतिम प्रहर
कुछ ऐसा लगता है …..
ज्यूँ मौत को प्रारंभ हुआ सफ़र
जाने कैसा मकान थाsikiladi
जाने कौनसी मंज़िल पे था
मगर ऊँचा, बहुत ऊँचा था
ज़लज़ला था या फिर तूफ़ान था
जिसने सबको हिला डाला था
हवा की उठती गई ऊँची सी लहर
जैसे कोई धार धरती से उपज
बढ़ती गई गगन की ओर
अपनी राह में कई पेड़ उखाड़,
कई बस्तियाँ उछाल….
तेज़ हवा की यह धारSikiladi
लेती गई कई गुलशन उजाड़
अपनी राह में किसी को भी बर्दाश्त किये बिना
और मैं देखती रही यह तबाई
अपनी बालकनी में खड़े हो
बालकनी की कॉंच वाली खिड़की पर
जहां कोई ऑंच भी न आई
मैं खड़ी रही सुरक्षित
मगर तबाही देख तिलमिलाई
हाथ जोड़ नतमस्तक ऑंखें मूँद
ईश्वर से माँगती रही दुहाई
तभी यकायक मेरे गालों को….
छू गया विशाल ब्रह्मकमल का पेड़
कॉंच तोड़े बग़ैर भी ….
जाने कैसे मुझ तक पहुँच पाया
ब्रह्मकमल का पावन सा साया
उसके श्वेत शाही फूलों ने मुझे सहलाया
आश्चर्य हुआ कि दिन के समय भी….
वह फूल खिले से ही रहेsikiladi
वे तो केवल रात-भर के मेहमान होते हैं
जाने कैसे वह पेड़ इतनी ऊँचाई पर…
मुझ तक था पहुँच पाया
क्या वह बन गया था मेरा सरमाया ?
या फिर मेरी मौत का संदेश था लाया
असमंजस में थी मैं ….
बूझ न सकी ख़ुशी मनाऊँ या….
स्वयं अपने ही मरने का मातम मनाऊँ
यकायक मुर्ग़े की बाँग दी सुनाई
और मेरी निद्रा से जागने की घड़ी आई
अपने इस स्वप्न पे अचरज तो हुआ
साथ ही एक सत्य ने विचारों को घेरा
जाने कौन से पल मौत से साक्षात्कार हो जाए
जाने कौन से क्षण यूं ही प्राण निकल जाए
गुरूजनों से सुना तो था…..
मृत्यु ही जीवन का अंतिम सत्य हैsikiladi
अब यह बात स्वप्न ने भी है सिखलाई
जीवन के अंतिम सत्य का दर्पण दिया दिखलाई
मैं जो समझ बैठी थी… अभी जीवन शेष है
अब सच्चाई के कुछ अधिक निकट आई
अद्भुत अंतर्दृष्टि और बहुत सराहना की गई साझा धन्यवाद प्रिय आत्मा 🙏
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आपका हृदय से आभार । Comment करने के लिए धन्यवाद. आप स्वयं पावन आत्मा हैं इसलिए आप यह दृष्टिकोण समझ पाए। स्वप्न तो वही दर्शाते हैं जो हम खोजना चाहते हैं ।
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आपकी बुद्धि अच्छी तरह से अर्जित की गई है प्रिय आत्मा 🙏
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आपके शब्दों ने प्रोत्साहन दे दिया है । आशीर्वाद कीजिए कि आध्यात्मिक उपलब्धि उत्पन्न कर सकूँ और सन्तुलन भी बना रहे । 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
एक बार फिर आप पुण्य आत्मा का हृदय से आभार 🙏🏼
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संतुलन या आशीर्वाद की तलाश न करें क्योंकि वे आत्मा के रूप में आपके संस्कार हैं, उसमें प्रेम बना रहे और आप वास्तव में जानेंगे कि सब कुछ प्रेम है, सब आत्मा है और सब ईश्वर है 🙏
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अब तों आपने मुझे निशब्द कर दिया 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
बहुत ही बहुमूल्य बात लिखी है आपने । बस आपके लिखे हुए महानुभाव को “तथास्तु “ ही कहा जा सकता है 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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