प्यारी बिन्दू कल रात तुम आई सपने में मेरे
मेरे ह्रदय के थे खिल उठे कपोले
तुम्हारे बालों में कान के पीछे वह फूल
जामुनी और नारंगी वह फूल
कितनी सुन्दर दिख रही थी तुम
हम दोनों ने बाँहों में बाँहें पकड़
बहुत देर तक एक साथ डाँस किया
डेरों बातों का ख़ज़ाना था खोला
और सब से अच्छी बात यह थी
कि यह सब हम ने नैरोबी में किया
अब तो आस बुलंद हो गई
तुमको मिल पाऊँगी जल्द यहीं
स्वस्थ काया लेकर तुम आओगी यहाँ
बचपन वाली होंगी बातें फिर यहाँ
मेरा जी चाहता है मिलना तुम से
मगर दूरियाँ है इतनी, फ़ासले बहुत
और दुनिया भर की मजबूरियाँ
तुम्हारे बिन ऐ सखी
भीड़ में भी लगतीं है तन्हाईयॉं
जी तो चाहता है थाम लूँ तुम्हारा हाथ
हम तुम मिल बैठें फिर एक साथ
सखीपन का लौट आए प्यारा अहसास
मिल कर गीत गुनगुनाए पास पास
वह दिन होगा ही कुछ बहुत ख़ास
बुझ जाएगी आत्मा की अधूरी प्यास
सिकीलधी


Bahut hi khubsurati se likha hai……..behtarin rachna.
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Dhanyavaad Ji.
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