पोस्ट कार्ड / Post Card

हमें भी दादी तेल लगाती थी

सिर की मालिश कर जाती थी

बालों में हाथ घुमाकर हर तरफ़ 

वह अपना प्यार जताती थी

दादा तो जल्द ही थे चल बसे

दादी ही लाड़ लड़ाती थी

सुबह शाम ईश्वर की भक्ति 

से अपना समय बिताती थी

पास बुला कर खटिया पर

चिट्ठियाँ पढ़वाती- लिखवाती थी

राज़ ने थे कुछ भी गहरे

पोस्ट कार्ड से भी काम चलाती थी

वही पाँच पैसे वाला पोस्ट कार्ड

नानी के तकिये से उठा कर

हम गुड़ वाली गजक ख़रीद खाते थे

हम समझते नानी तो सो रही है

मगर वह हर बात जान जाती थी

हमारी क़ुल्फ़ी व गजक के लिए ही

तकिये भीतर वह पोस्ट कार्ड छुपाती थी

अब बीत गया वह दौर

और हम जीवन की दूजी छौर 

 न रहे अब दादी दादा, 

छोड़ गए नानी- नाना व मॉं – बाबा

बस यादें ही रह जाती हैं 

बचपन की याद दिलातीं है 

उनका वह बेअंत प्यार दुलार

न देखी कभी हम ने घर में तकरार

किस मिट्टी के बने थे वह लोग

जाने कैसे अजब थे उनके संजोग

उन बुज़ुर्गों वाला दौर था अलग

मीठे मुरब्बे व तीखे अचार की महक

घर में ही बनते पापड़ व चिप्स 

पिज़्ज़ा व बर्गर की थी न दहक

मामीयॉं व बुआऐं सब हाथ बटातीं

मॉं की रसोई में सब साथ निभातीं 

समय का न रहता अभाव था

काम काज निप्टा वह ताश भी लगातीं

परिवारों का मेल मिलाव होता था अजब

हर त्यौहार की रौनक़ लाती नई खनक

सिकीलधी

6 thoughts on “पोस्ट कार्ड / Post Card

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s