मेरी बिन्दी मेरी अनुभूति
कोई करता रक्त का दान
कोई परिश्रम व समय का दान
कोई करते खाद्य पथार्थ दान
कुछ विशेष गण करते घन से दान
मत भूलो इतिहास हमारा
माथे लम्बा तिलक सज़ा कर
वीरों ने दिए प्राणों के बलिदान
हमारी सभ्यता के चिन्ह हैं महान
क्यों शठ बन हम तजते यह स्वाभिमान
हमारा तिलक व बिन्दी है हमारी पहचान
चलो यह प्रण लें कि करेंगे इन का सम्मान
लगायेंगे ललाट पर वह चन्दन व कुमकुम
और न हो पायातो पैकेट वाली बिन्दी से लेंगे काम
एवं काजल का टीका या शिव जी वाली विभूति
मेरी बिन्दी है मेरी सुंदरता की अभिव्यक्ति
यह धरोहर है मेरी प्यारी संपत्ति
इस से होती मेरी हिन्दुत्व वाली पहचान
इस से है बढ़ती मेरी आन व शान
अपनी तिलक व बिन्दी वाली सभ्यता है महान
भूले सेभी न करना इस का अपमान
सदा सदा ही करना इसका मान
सुहागिन का सुहाग है बिन्दी
कुमारी का स्वाभिमान है बिन्दी
चाहे बोलो बंगाली, गुजराती, तेलुगु या हिन्दी
माथे पर सजाए रखना सदा बिन्दी
तिलक का मंदिर के घंटे से अजब है नाता
तिलक है त्रिनेत्र अनुभूति का विधाता
जागृत करता पुण्य विचार तुम्हारे
इस से जोड़े रखना सदा नाता
