
छाया है आज एक सन्नाटा
मानव बैठा पहनकर मुख्खौटा
भयभीत हुए सभी जनगण
सूना सा दिखता हर प्रांगण
नहीं यह पहली बार हुआ है
काल का सुदर्शन चक्र चला है
महामारी ने किया आतंकित
विश्व का हर जन हुआ सीमित
याद करो मॉं जब उपद्रव मचा था
महिषासुर का तुम ने वध किया था
दानव दैत्य जब भी हुए थे हावी
तुम छाईं तब तब बनकर एक आँधी

शुम्भ निशुम्भ जब जन पर भारी
तुम आईं थी बन अप्सरा सी नारी
किया था क्रोधित गण सहित उनको
घमन्ड मिटा कर पछाड़ा था उनको
अब आई है कोविड १९ की दहशत
प्राण लिए जा रही उसकी हरकत
अब एक बार फिर तुम आओ मैय्या
रोक लो आकर यह ज़ालिम मरकट
देर न कर अब मेरी महा माई
सगरे जगत फैल चली बीमारी
बिछ गई लाशें चहूं ओर हैं
व्याकुल आज हर एक नर नारी
शोक ग्रस्त सताए हुए सब प्राणी
विषाणु आज है उन सब पर भारी
आओ मैय्या हम सब की प्यारी
रोग मुक्त करो यह धरती हमारी
सिकीलधी
बहुत ही सुंदर लिखा है मैय्या के बारे में 👌👌
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बहुत ही खूबसूरत लिखा है। दिल से।👌👌
चहुँओर हाहाकार,
जन बेबस लाचार,
दिल से निकली पुकार।
नित्य प्रतिपल मिटती जिंदगी
कैसे करूँ माँ तेरी बंदगी,
देख सभी बेहाल हैं,
एक वायरस से दुनियाँ परेशान है,
अब और दुख सहा नही जाता,
माँ, बहुत बार आई हो
एक बार आ जाओ
इस दुख से छुटकारा दिलाओ।
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वाह! आपने तो हमें लाजवाब कर दिया। बहुत बहुत धन्यवाद।
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