अच्छा किया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मेरी मुझ को
बड़ी ही ग़लत फ़हमि लिए जी रही थी
ख़ुद को तुम्हारी अर्धान्गिनी मान कर
जाने अनजाने कैसे समझ लिया था
है तुम पर अधिकार मेरा
आज यह भ्रम जो टूटा
यूँ लगता है ऑंख खुल गई
सपना अपनेपन का जो देखा था
क्षण भर में चकनाचूर हो गया
मिट्टी की देह तो सबकी है मगर,
मैं तो मिट्टी से सनी मैली हो चली
जीवन साथी मान लिया था तुमको
अब जाना क्या सज़ा है मिली
नारी थी मैं आत्म सम्मान वाली तब
बन गई अबला अब, है शुक्र तुम्हारा
अच्छा किया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मुझ को
जानती थी जिस घर को अपना
उसी की बन्दी बन कर रह गई
है इस चारदीवारी में सीमित जीवन
छिन गई खुल कर जीने की आज़ादी
तुमने जताया आज सुबह जब
है इस घर के लिए ही जीना मरना
सबको देकर आज़ादी जीने की
मुझे दासता का संदेश सुनाकर
तुम तो खो गए अपने संघर्ष में
छोड़ मुझे हर दम घुटने को
तुम तो बहुत मसरूफ़ हो गए
अच्छा कीया जो तुम ने
औक़ात याद दिला दी मेरी मुझ को
कहने को तो दाता का दिया सब है
फिर भी अहं को ठेस है लगती
जब घर के ख़र्चे की मजबूरी खटकती
हाथ फैलाना हर माह तुम्हारे आगे
ग़ैरत अपनी को बहुत खटकता
कैसी घर की रानी कहलाती
जब एक भी फ़ैसला ख़ुद करने का हक़ न होता
जो तुम ने घमंड में रहते किया
अथवा किया बर्ताव क्रोध वश
वही अब घर के बड़े और बच्चे कर रहे
दासी बना दिया तुम ने पत्नी को
फिर कैसे पति तुम पतिदेव हो बने
और हमारी सभ्यता बड़ी अनोखी
पति को परमेश्वर है कहलाते
पत्नी को अपमान के घूँट पिलाते
सिकीलधी
वास्तविकता झलक रही है👌
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शुक्रिया
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हाँ पति परमेश्वर माना जायेगा
तब
जब पत्नी को देवी का सम्मान होगा,
जहाँ नारी का सम्मान नही
वहाँ पुरुष महान नही
मगर अफसोस
सदियों से जो नारी
पुरुष के सम्मान के लिए जिंदा है,
वही उसे सम्मान क्या है सिखाता है,
बात बात पर हुक्म बजा,
उसे उसकी पहचान दिखाता है,
अजीब विडम्बना है,जो आपने बताया,
पैरों की धूल भी नही समझा नारी को
और खुद को
परमेश्वर बताया।
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धन्यवाद। आपने भी इस विषय को बहुत अच्छी तरह समझा है।
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😭why?
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Just an observation understood closely.
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Behtrin
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Shukriya!
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जानती थी जिस घर को अपना
उसी की बन्दी बन कर रह गई
जहरीला सच है यह! सुन्दर पेशकश | तीखा कटाक्ष भी पूरी कविता समाज को आइना दिखा रही है |
लिखते रहें, साधुवाद आपको
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पसंद करने के लिए धन्यवाद। सच तो कड़वा ही होता है।
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