चॉंद पूनम का

शरद की ऋतु, चॉंद पूनम का
स्वर्न सा चमका, चॉंद पूनम का
धरती को आलन्क्रित करता
पृथ्वी का ज्यूँ चुम्बन लेता
लक्ष्मी मॉं को अपने संग ले आता
बहुत विशाल है, चॉंद पूनम का
कान्हा संग मिल, अठखेली करता
गोपियों संग यह रास गरबा करता
झंकार हृदय हर एक में भरता
मधुर मधुर यह, चॉंद पूनम का
शीतलता भर भर जग पर फैलाता
तृप्त आत्माओं का मन बहलाता
षोडश कला सम्पूर्ण दर्शाता
बड़ा ही पवित्र, यह चॉंद पूनम का
दूध, खीर, चोखा व पोहे पर दर्श दिखा
हर एक कण कण को प्रसाद बनाता
नेत्रों में शुद्ध ज्योति उर्जित फिर करके
स्वच्छ अमृत बरसाता, चॉंद पूनम का
वृन्दावन की पावन नगरी झूमने लगती
ब्रज भूमि व मथुरा भी आनन्दमय दिखतीं
हर्ष व उल्लास चहुं ओर बिखेरता जाता
कंचन कोमल , यह चॉंद पूनम का
सिकीलधी
Picture credits : Google Images
Waah…..bahut hi khubsurat Chand punam ka…..aur utna hi sundar apki rachna…..bahut badhiya.
Dipawali ki dher sari shubhkamnayen.
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Loved the poem!
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