मीठी सी मुस्कान वह प्यारी
बहुत दिलों को देती दिलदारी
चेहरे की मासूमियत झलकती
गम्भीर सी सोच के तले
कोटू अन्कल वह बातें प्यारी
याद सदा रहेंगी न्यारी
बहुत अचानक किया चलाना
निरंकार की शरण था जाना
वो बचपन के छुट्टियों के दिन
जब मनु व रीटा हांगकांग आते
वह आपका हर रात हमारा जी बहलाना
रामायण पढ़ के नित सीख सिखाना
याद हैं अब तक वह पिछली बातें
जब आप फ़िल्मी गीत थे गाते
कापी के पन्ने गीतों से भरे थे
और आप गाना सुनाकर महफ़िल सजाते
हमारी बुआजी से दूरी थी आपकी
लम्बी लम्बी चिट्ठीयॉं में उनसे मिलते
ख़त का इन्तज़ार उन्हें भी रहता
इक दूजे को बेहद थे चाहते
वह चंचल गाना सिन्धी हिन्दी का
हम हर समय आपसे सुनना चाहते
वह संगत में जाना, शांत हो बैठना
ख़ामोशी में भी अपना अहसास जताना
कुछ न कहकर भी आप सब कुछ कह जाते
और कभी अचानक नटखट बात कर जाते
सीधा सरल मनमोहक स्वभाव आपका
याद रहेगा हम सब को सदा सदाl
सिकीलधी