लो फिर से चली आई
धुंधली सी तेरी याद
दिल करने लगा फ़रियाद
पैरहन पे गिरे यूँ आॉंख से क़तरे
ज्यूँ ऑंचल में आ गई बरसात
तेरी याद दम लेने ना देती
घायल रहता है दिल का हाल
मेरी यह तड़प, ये बेचैनी
देती रुसवाई, करती बदनाम
लो फिर से चली आई
धुंधली सी तेरी याद
नींद ने भी मेरा दामन त्यागा
ऑंख ने आस का बॉंधा धागा
रात में दिन, दिन में रात लगती
हरदम रहती ऑंखें टपकती
एक जुदाई बिरहा वाली
दे गई मन को दुख की गहराई
सिकीलधी
Aah dard se ek ek shabd aur panktiyan bhari huyee………
Din men hansi hoton par
phir log dard
pehchaan jaate hain,
kaise soyen raaton men,
sannate hamen jalaate hain,
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Wah! Wah! Apka jawaab lajawaab hai janaab.
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Beautiful words पैरहन, बिरहा…
अजीब हैं यादें,
धुंधली हो जाती हैं,पर जाती नहीं हैं।
याद न भी करों ,पर याद जाती नहीं है।
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धन्यवाद
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OMG…. 💝👍👏
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