मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
वह प्यार दुलार व दुआ की बहार
वो घर बुलाने के बहाने हज़ार
वो हर फ़रमाइश का पूरा करना
वो घंटों बैठ कर बातें करना
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
वो मायके जाकर सब भूल जाना
वो चुलबुलाहट का लौट के आना
मॉं की वह बातें प्यारी पिचकारी
दुख भुला लेती हर बिटिया बलिहारी
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
मॉं के हाथ की रोटी लगती मक्खन सी
नई जान भर देती बोझिल धड़कन की
वो मनपसंद पकवान बिटिया को खिलाना
दुलार भरी आँखों से टक टक निहारना
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
वह बचपन का फिर लौट के आना
यादों का ज्यूँ खुल जाए ख़ज़ाना
घंटों बैठ के माँ संग बतियाना
उसके लाड़ लड़ाने पर इतराना
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
वो तीखी चटनी मींठे आम की
वो बाग़ की सैर हर शाम की
वो बालों में तेल गरम लगाना
वो हर पसन्द को ध्यान में रखना
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
वो सास नन्द की बातें सुनना
और फिर प्यार से माथा सहलाना
उसका नाती पोतों पर न्योछावर जाना
उनके संग बच्ची बन खेल खेलना
मॉं है तो मायका भी है
मॉं है तो मन महका भी है
मॉं में मिलती है वह सखी पुरानी
मॉं से मिलती है वह पहचान पुरानी
मॉं से मायके की शान होती रूहानी
मॉं बिन अपनों के बीच बिटिया अनजानी
सिकीलधी
Bahut khub.
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धन्यवाद
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बिलकुल सच कहा है।
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👍🙏
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