तेरे आँचल की छांव तले
मॉं अनेकों लाल पले
चाहे छोटे हों या बड़े
तुझको सभ ही लगते भले
ठोकर खाते, गिरते पढ़ते
घबरा जाते जब हम ढर् से
धूल भरा वो तेरा आँचल
सहला जाता मॉं हर ग़म से
अब जो हम परदेस आ बसे
गर्दिशों की धूल तज कर फँसे
याद तेरी मॉं बहुत ही सताए
जब जब घने से बादल बरसे
रहते हैं हम सहमे सहमे से
आँखों से चुपके आँसू बरसे
जब होंठ हमारे मुस्कुराए
आह सी निकल जाती है दिल से
सिकीलधी
maa luv u
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माँ पर बहुत सुंदर कविता
बहुत बढ़िया
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बहुत सुंदर
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🙏
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